गन्ना सैकरम प्रजाति की वनस्पति का वंशज हैऔर इसी वंश की दो वनस्पतियो के मिलन से आधुनिक गन्ने का उदभव हुआ | जिन दो वनस्पतियो का क्रास करके आधुनिक गन्ने का विकास किया गया उनके नाम "सैकरम आफिसिनेरम" एवं "सैकरम स्पान्टेनियम" है इनके सम्मिश्रण से प्रथम गन्ना प्रजाति सी० ओ० २०५ विकसित की गई
वर्ष १९०४ में व्रिटिश सरकार ने चाल्र्स एल्फेड बारबर नामक वनस्पति शास्त्री को मद्रास विश्व्विधालय में गन्ने की सम्भावनाओं का पता लगानें हेतु भेजा गया | वर्ष १९१२ में कोयम्बटूर में चाल्स एल्फ्रेड बारबार ने एवं जार्ज क्लार्क द्वारा शाहजहाँपुर में गन्ना अनुसंधान परिषद की स्थापना की | यही से भारत में गन्ने के विकास की यात्रा प्रारम्भ होती है | कोयम्बटूर में प्रथम विक्सित प्रजाति सी०ओ० २०५ थी जिसके पश्चात सी०ओ० २१३, २१४, ३१३ आदि प्रजातियाँ विकसित हुई | कोयम्बटूर से प्राप्त बीज से शाहजहाँपुर गन्ना शोध केन्द्र में नई प्रजातियाँ विकसित की गई |
शाहजहाँपुर गन्ना शोध केन्द्र में सर्वप्रथम यू०पी० १, यू०पी० २ आदि प्रजातियाँ विकसित की गई तत्पश्चात केन्द्र द्वारा को०शा० प्रजातियो का विकास किया गया | वर्तमान में इस केन्द्र की गन्ना प्रजातियो को०शा० ८४३६, को०शा० ८८२३०, को०शा० ९६२६८ आदि उत्तराखण्ड में बोई जा रही है | उत्तराखण्ड में गो०ब०पन्त क़्रषि विश्व्विधालय के रिसर्च क्राप सेन्टर में एवं गन्ना अनुसंधान केन्द्र, काशीपुर (स्थापित १९७४) में गन्ने की उन्नतशील प्रजातियों का विकास एवं सम्वर्धन किया जा रहा है |
उत्तराखण्ड में पहली चीनी मिल काशीपुर में वर्ष १९३६ में स्थापित हुई | १९३२ में बडोत जनपद बागपत में स्थापित चीनी मिल वर्ष १९३८ में लक्सर जनपद हरिद्वार स्थानान्तरित की गई जबकि इकबालपुर चीनी मिल हमीरा पंजाब से वर्ष १९५४ में स्थानान्तरित की गई | सहकारी क्षेत्र की प्रथम चीनी मिल बाजपुर में १९५८-१९५९ मे लगाई गई | वर्तमान में उत्तराखण्ड में चार गन्ना उत्पादन जनपदो ऊधमसिंह नगर, नैनीताल, हरिद्वार एवं देहरादून में से जनपद ऊधमसिंह नगर मे 3(सहकारी 2, सरकारी1 ), हरिद्वार में ३ (निजी ३) एवं देहरादून में १ (सरकारी १) कुल 7 चीनी मिलें अवस्थित है |जिनकी पेराई क्षमता 34250 टी०सी०डी० है |
इन चीनी मिलों को उनकी आवश्यकतानुसार गन्ना उपलब्ध कराने, चीनी मिल क्षेत्र में गन्ना प्रजाति सन्तुलन बनाये रखने, गन्ना क्रषको को गन्ने की आधुनिक खेती से परिचित कराने एवं विकास कार्यक्रमों के संचालन हेतु गन्ना विकास विभाग कार्यरत है |इसी प्रकार गन्ने एवं क़्रषि निवेशों के विपणन कार्य हेतु गन्ना समितियाँ कार्यरत है | उत्तराखण्ड में विकास कार्यो को गति देने हेतु प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में एक गन्ना विकास परिषद (कुल १०) कार्यरत है एवं विपणन कार्य हेतु 14 गन्ना विकास समितियाँ एवं 1 चीनी मिल समिति अस्तित्व में है |