अन्तर ग्रामीण सड्क निर्माण योजना
गन्ना विकास विभाग के अन्तर्गत निर्माण शाखा की उत्पत्ति वर्ष १९७२-७३ में अविभाजित राज्य उत्तर प्रदेश में हुई | इसके पूर्व भी कार्यों के अनुश्रवण हेतु गन्ना विकास परिषदों में अवर अभियन्ता / सहायक अभियन्ता तैनात रहते थे |
यह निर्माण शाखा स्वतन्त्र रुप से निर्माण कार्यो को करती रही है और इसके अन्तर्गत सड्र्क, भवन आदि का निर्माण होता रहा है | विभाग की इस शाखा में पूर्ण कालिक कार्यालय स्टाफ,अवर अभियन्ता,सहायक अभियन्ता, अधिशासी अभियन्ता आदि तैनात है | उत्तर प्रदेश राज्य में निर्माण शाखा के अधीक्षण अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ता (संस्था प्रमुख)तैनात है
वर्ष २००० में उत्तर प्रदेश राज्य का विभाजन होनें के फलस्वरुप अधिशासी अभियन्ता तक के पद उत्तराखण्ड राज्य हेतु आवंटित हुए | इस योजना के अन्तर्गत सामान्यतः लिंक रोड बनाई जाती हैं जो सुदूर के ग्रामों को गन्ना परिवहन के प्रयोजनार्थ मुख्य सड्रकों से जोड्रती हैं यह सड्रके अशदायी आधार पर बनाई जाती है जिन पर 75 प्रतिशत शासन द्वारा जिला योजना के अन्तर्गत तथा 25 प्रतिशत कार्यदायी संस्था यदा गन्ना विकास परिषद, चीनी मिल आदि द्वारा वहन किया जाता है | इस योजना के अन्तर्गत कार्यरत कर्मचारियो का प्रशासनिक एवं वित्तीय नियंत्रण गन्ना आयुक्त का है | सेन्टेज की धनराशि जो सामान्तः निर्माण के लागत का १० से १५ प्रतिशत होती है, से इस संस्था को वित्त पोषित किया जाता है |